भड़ली नवमी का आध्यात्मिकमहत्व

भडरिया नवमी, जिसे भड़ली नवमी भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। यह दिन आषाढ़ मास गुप्त नवरात्री की नवमी भी होती है। इस वर्ष भड़ली नवमी 4 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इसकी विशेषताएं: विवाह के लिए अंतिम मुहूर्तः भड़ली नवमी के बाद देवशयनी एकादशी आती है, जिससे चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। इस दौरान हिंदू धर्मावलम्बियों का विवाह वर्जित है, इसलिए भड़ली नवमी को विवाह के लिए अंतिम मुहूर्त माना जाता है। लेकिन इस वर्ष गुरु के अस्तोदय स्वरूप में होने के कारण विवाह मुहूर्त नहीं बनेगा। गुरु का महत्वः स्त्री जातकों के विवाह में त्रिबल शुद्धि हेतु गुरुबल का होना विशेष महत्त्व रखता है। शास्त्रानुसार गुरु के 'अपूज्य' स्थिति में होने पर स्त्री जातक का विवाह वर्जित माना गया है। आध्यात्मिक महत्वः भड़ली नवमी का आध्यात्मिक महत्व भी है, जो गुप्त नवरात्री की नवमी होने के कारण विशेष रूप से मनाया जाता है। अबूझ मुहूर्तः कुछ विद्वानों के अनुसार भड़ली नवमी को विवाह हेतु अबूझ मुहूर्त माना जाता है, लेकिन इस वर्ष गुरु के अस्तोदय स्वरूप में होने के कारण इसकी अनुमति नहीं है। इन विशेषताओं के साथ, भड़ली नवमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो विवाह और आध्यात्मिकता के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है.

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